धौलपुर के नेत्र विशेषज्ञ डा अशोक जिंदल के यहां नेत्र रोगियों की भीड़ रहती है, रोजाना आने वाले रोगियों में 40% से अधिक बच्चे मरीज होते हैं। इन मरीजों के भिभावकों का कहना था िक उनके बच्चों को न तो किताबों के अक्षर साफ दिखते हैं और ना ही वह कुछ भी पढ़ पाते हैं क्यों क उनकी आंखें कमजोर हो गई है। डॉक्टर जिंदल का कहना था िक बच्चों में जिस प्रकार बचपन से ही मोबाइल की लत लगना शुरू हुआहै। उसके निश्चित रूप से घातक परिणाम सामने आ रहे हैं।इसके िलए बच्चों के अभिभावक दोषी हैं क्यों क वह बच्चों को बहलाने के िलए मोबाइल उनके हाथ में थमा देते हैं और कई घंटे तक बच्चे उन मोबाइलों पर जूझतेरहते हैं, जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है। इसके साथ ही उन पर उनके दिमाग पर भी इस मोबाइल का दुष्प्रभाव सामने आता है। हालत इतनी बदतर है िक बालक से यदि मोबाइल छीन िलया जाये, तो परिवार में क्लेश हो जाता है। इसी प्रकार महिलाओं में भी मोबाइल से रोग बढ़ रहे हैं। घंटाघर रोड पर निजी अस्पताल चला रही स्त्री रोग इसी प्रकार महिलाओं में भी मोबाइल से रोग बढ़ रहे हैं। घंटाघर रोड पर निजी अस्पताल चला रही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रेनू अग्रवाल का कहना है िक गर्भवती तथा सामान्य महिलाओं में महिलाओं में मोबाइल का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसका परिणाम यह है िक अधिकतर गर्भवती महिलाओं को मोबाइल के दुष्परिणामों से प्रभावित होना पड़ रहा है, जब क सामान्य महिलाएं माइग्रेन, नेत्रों में कमजोरी, दिमाग में कमजोरी तथा अन्य प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो रही हैं। धौलपुर जिले में लगभग 17 लाख की आबादी है। जिनमें से 60% से अधिक लोगों पर मोबाइल हैं। स्थिति इतनी खराब है िक एक घर में यदि 6 जने हैं, तो उन पर अलग-अलग मोबाइल है। जब वे मोबाइल में बिजी हो जाये तो उनको संसार से कोई मतलब नहीं रहता है। इन मोबाइलों ने गांवों में भी अपने पैर जमा िलए हैं और ग्रामीण नहीं जाती हैं। हमने इस बारे में जांच की तो मोबाइल के कई साइड असर सामने आये हैं। मोबाइल फ़ोन काविकरण मानव स्वास्थ और वातावरण पर प्रभाव डाल रहा है। अधिकतर लोग मोबाइल फ़ोन का उपयोग करते हैं, इसलिये मोबाइल फ़ोन कार्तिकरण, चर्चा काविषय है। मोबाइल फ़ोन, जो िवद्युत चुम्बकीयविकरण का प्रयोग करता है, इसके कारण मानव जीव के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचताहै। मोबाइल फ़ोन को लंबे समय तक इसतेमाल करना हानिकारक है। इसी लये मोबाइल फ़ोनविकरण को मनुष्य के िलए संभवतः कासीनजन नामक वर्गीकृत िकया है। मोबाइल फ़ोन और कॉफी, दोनो कासीनजन पदार्थो के साथ श्रेणीकरण कया गया है। जो लोग मोबाइल फ़ोन को दस वर्ष से धिक प्रयोग करेंगे तो मस्तिष्क ट्यूमर का खतरा दोगुना हो जाता है। मोबाइल फ़ोन के उपयोगकर्ताओं को न्यूनतम 20 सेंटीमीटर की दूरी हैंडसेट से रखना ज़रूरी है, उससे विकरण का प्रभाव कम होता है। निजी अस्पताल संचालक डा आर एस गर्ग का मानना है िक मोबाइल फ़ोन नकारात्मक भावनाओं को प्रभवित करता है।जब दो लोग एक दूसरे से बात करते है। तब अगर एक व्यक्ति फ़ोन का उपयोग करता है तो उससे दूसरे व्यक्ति के नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती है। मोबाइल फ़ोन के कारण मनुष्य के रिश्तों में तनाव का स्तर बढता है। मोबाइल फ़ोन के कारण तनाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है।
मोबाईल के खतरनाक परिणाम धौलपुर के नेत्र विशेषज्ञ डा अशोक जिंदल के यहां नेत्र रोगियों की भीड़ रहती है, रोजाना आने वाले रोगियों में 40% से अधिक बच्चे मरीज होते हैं। इन मरीजों के भिभावकों का कहना था िक उनके बच्चों को न तो किताबों के अक्षर साफ दिखते हैं और ना ही वह कुछ भी पढ़ पाते हैं क्यों क उनकी आंखें कमजोर हो गई है। डॉक्टर जिंदल का कहना था िक बच्चों में जिस प्रकार बचपन से ही मोबाइल की लत लगना शुरू हुआहै। उसके निश्चित रूप से घातक परिणाम सामने आ रहे हैं।इसके िलए बच्चों के अभिभावक दोषी हैं क्यों क वह बच्चों को बहलाने के िलए मोबाइल उनके हाथ में थमा देते हैं और कई घंटे तक बच्चे उन मोबाइलों पर जूझतेरहते हैं, जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है। इसके साथ ही उन पर उनके दिमाग पर भी इस मोबाइल का दुष्प्रभाव सामने आता है। हालत इतनी बदतर है िक बालक से यदि मोबाइल छीन िलया जाये, तो परिवार में क्लेश हो जाता है। इसी प्रकार महिलाओं में भी मोबाइल से रोग बढ़ रहे हैं। घंटाघर रोड पर निजी अस्पताल चला रही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रेनू अग्रवाल का कहना है िक गर्भवती तथा सामान्य महिलाओं में महिलाओं में मोबाइल का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसका परिणाम यह है िक अधिकतर गर्भवती महिलाओं को मोबाइल के दुष्परिणामों से प्रभावित होना पड़ रहा है, जब क सामान्य महिलाएं माइग्रेन, नेत्रों में कमजोरी, दिमाग में कमजोरी तथा अन्य प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो रही हैं। धौलपुर जिले में लगभग 17 लाख की आबादी है। जिनमें से 60% से अधिक लोगों पर मोबाइल हैं। स्थिति इतनी खराब है िक एक घर में यदि 6 जने हैं, तो उन पर अलग-अलग मोबाइल है। जब वे मोबाइल में बिजी हो जाये तो उनको संसार से कोई मतलब नहीं रहता है।