राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण) नियंत्रण एवं अपील नियम 1958 के नियम 16 तहत गंभीर आरोपियों को राज्य सेवा से करने अथवा अयोग्य घोषित करने के प्रावधान गले ही राज. सरकार ने बना रखे हों धौलपुर जिले में ऐसे आधा दर्जन गंभीर आरोपित कर्मचरियों के विरुद्ध विचराधीन मामलों पिछले कई वर्षों से धूल झड़ाने की कार्यवाही नहीं की जा ही है। आरोपित कर्मचारियों के विरूद्ध समय पर कार्यवाही नहीं करने से संरक्षण करने का काम जांच अधिकारी एवं अनुशासनिक अधिकारी के कार्यालय में बेखौफ रहा है। सूचना के अधिकार के तहत जिला कलक्टर धौलपुर के पत्र 40a3 दिनांक 18.7. से सात कर्मचारियों को 18सीसीए के तहत आरोप पत्रं में से वर्ष 2011 का एक 2013 एफ 2014 के तीन, 2015 का एक तथा 2018 को आप पत्र जारी किये हुए है जिनमें उपखण्डाधिकारी धौलपुर के स्तर से तीन मामलों में जांच रिपेर्ट तैयार कर जिला कलक्टर नहीं बेजी गई है। एसडीएम बसेड़ी में 6 वर्ष एवं सैंपऊ में पांच वर्ष से जांच रिपोर्ट मिजवाने की कार्यवाही धूल चाट रही है जांच अधिकारी के रूप में सम्बधित जाखण्डधिकारी अनुशासनिक अधिकारी के रूप में जिला कलक्टर ने भी इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। धौलपुर तहसीलदार के रूप में आधा अधिकारियों ने अधिकार ना होते हुए भी होकर नगर परिषद क्षेत्र की भूमि पर 21 मामलों में गैर खातेदारी को खातेदारी अधिकार देकर सरकार को लाखों रूपये की राजस्व हानि पहंचाने का जो कार्य किया गया उसके विरुद्ध जिला कलक्टर की ओर से एसीबी जयपुर में परिवाद दर्ज कतया । परन्तु अपने स्तर से अधीनस्थ तहसीलदारों के विरुद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव राजस्व मंण्डल अजमेर के द्वारा मांगे जाने पर नहीं भेजे गये। राजस्व मण्डल अजमेर ने दिनांक 29.8.2018 को लिखित निर्देश देकर उपवण्डाधिकारी धौलपुर से जांच कराकर प्रतिवेदन चाहा गया सूचना के अधिकार के तहत दिनांक 15.5.2019 से जिला कलक्टर को एवं जिला कलक्टर के पत्र संख्या 73 दिनांक 295.2019 से निबंधक राजस्व मण्डल अजमेर को जांच प्रतिवेदन भेजा गया है। जांच प्रतिवेदन भेजे जाने में एक वर्ष का समय व्यतीत किया जाना और सम्बन्धित तहसीलदारों के विरूद्ध प्रचलित सेवा नियमों के तहत आरोप पत्र तैयार कर नहीं भिजवाने से अधिकारी बेखौफ बने हुए है। राजस्व न्यायालय और कार्यालयों में आम नागरिक न्याय की उम्मीद लगाकर आये दिन आते रहते है। उपखण्डाधिकारी धौलपुर को न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे में निर्णय करने की एवज में ली गई रिश्वत की राशि को वापिस करते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने से आम जनता का भरोसा डगमगाया है। उपखण्डाधिकारी के निवास पर एसीबी के द्वारा पकड़े जाने के समय का दृश्य पी चिताजनक है अधिकारियों के लिये शराब मीट की व्यवस्था में लगे लोग कौन-कौन थे? रहस्य बना है। वहीं एसीबी के द्वारा 500 के 40 नोट टायलेट के पॉट में मिले होना भी रहस्य बस्ती में बच्चों को का विषय बना है। सवाल यह है कि गंभीर आरोपों पर कार्यवाही इतने सालों तक क्यों और किसने रोक रखी है? तहसीलदारों के विरूद्ध आरोप पत्र क्यों नहीं भेजे गये? एसडीएम के यहां एसीबी के छापे पर और भी लोग होंगे वे कौन हषोल्लाससेमनाया73वावाधीनतादिवसा लोग थे? इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको और हम सबको मिलकर खोजने हैं। हम यह भी आशा करेंगे कि व्यवस्थाओं में परिवर्तन आवे। ठीक काम करने वालों को प्रोत्साहन और गलत काम करने वालों को दंड दिया जावे। जिससे सरकार के प्रति आम लोगों का भरोसा कायम रह सके।
दम तोड रही ब्यबस्था न प्रोत्साहन